जयपुर में कृष्ण भक्ति का सुरमय संगम
अमेय डबली की प्रस्तुति ने लोक संगीत और फ्यूजन से श्रोताओं का दिल जीत लिया
जयपुर की सांस्कृतिक शाम एक बार फिर भक्ति, संगीत और सुरों के अद्भुत संगम की साक्षी बनी जब प्रसिद्ध कलाकार अमेय डबली ने अपनी खास प्रस्तुति से शहरवासियों का मन मोह लिया। इस कार्यक्रम में श्रोताओं को कृष्ण भक्ति, लोक संगीत और आधुनिक फ्यूजन का ऐसा अद्वितीय मेल सुनने को मिला जिसने हर आयु वर्ग के संगीत प्रेमियों को भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत जैसे ही अमेय डबली की मधुर वाणी से हुई, पूरा वातावरण एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। श्रोताओं ने उनकी आवाज़ में गोविंद राधे के भजनों को सुना तो किसी को कान्हा की मुरली सुनाई दी, किसी को वृंदावन की गलियों की याद आ गई। संगीत के इस आयोजन में लोक वाद्ययंत्रों की ध्वनि और वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट्स की धुनों का जबर्दस्त मिश्रण देखने को मिला, जिसने संगीत की सीमाओं को लांघते हुए एक नई अनुभूति दी।
अमेय डबली ने जिस अंदाज में कृष्ण भक्ति को लोकगीतों और फ्यूजन के साथ प्रस्तुत किया, वह न केवल संगीत में विविधता को दर्शाता है बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की गहराई को भी सामने लाता है। जयपुर जैसे सांस्कृतिक शहर में इस तरह की प्रस्तुतियां लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य करती हैं।
इस कार्यक्रम में युवाओं की संख्या भी खास तौर पर देखने लायक रही जो सामान्यत: भक्ति संगीत से थोड़ा दूर माने जाते हैं, लेकिन अमेय डबली की आधुनिक शैली और गहराई से जुड़े बोलों ने उन्हें भी अपनी ओर आकर्षित किया। संगीत ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि अगर प्रस्तुतिकरण में नवीनता हो तो हर पीढ़ी उसे सहज रूप से अपनाती है।
इस आयोजन का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं था बल्कि संगीत के माध्यम से अध्यात्म और संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाना भी था। आयोजकों का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रम समाज को सकारात्मकता, शांति और एकात्मता का संदेश देते हैं। जयपुरवासियों ने पूरे आयोजन को खुले मन से अपनाया और तालियों की गूंज के साथ कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
अमेय डबली की प्रस्तुति केवल एक शो नहीं, बल्कि एक यात्रा थी—कृष्ण के प्रेम से जुड़ने की, अपनी परंपराओं को समझने की और संगीत की नई व्याख्या को महसूस करने की। जयपुर की यह रात न केवल सुरमयी रही बल्कि हृदय को छूने वाली एक सांस्कृतिक अनुभूति भी बन गई, जिसे शहर लंबे समय तक याद रखेगा।