जयपुर तीज में झलकती सांस्कृतिक भव्यता
कलाकारों की अग्निकला और परंपराओं ने तीज को बनाया अविस्मरणीय, महिलाओं की आस्था ने निखारा उत्सव का सौंदर्य
जयपुर, राजस्थान की राजधानी, एक बार फिर अपनी रंगीन परंपराओं और जीवंत संस्कृति से जगमगा उठा। अवसर था तीज महोत्सव का, जहां महिलाओं की श्रद्धा, पारंपरिक कला, और जीवंत झांकियों ने एक अद्भुत नज़ारा पेश किया। इस उत्सव ने केवल धार्मिक आस्था को ही नहीं, बल्कि राजस्थान की गहराई से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत को भी शानदार ढंग से प्रस्तुत किया।
तेज बारिश और उमस भरे मौसम के बावजूद हजारों महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर माता की पूजा में सम्मिलित हुईं। सिर पर कलश, हाथों में पूजा की थालियां, और चेहरे पर भक्ति का तेज लेकर महिलाएं जब पालकी तक पहुंचीं, तो यह दृश्य हर किसी के दिल को छू गया। तीज की इस शोभायात्रा में सांस्कृतिक विविधता का एक ऐसा संगम देखने को मिला, जो केवल जयपुर जैसे शहर में ही संभव है।
कार्यक्रम की खास बात रहे वे कलाकार, जिन्होंने अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुंह से आग उगलते कलाकारों ने जब अपनी आग की लपटों से रात के अंधेरे को रौशन किया, तो हर कोई स्तब्ध रह गया। इसके अलावा, सजे-धजे ऊंट, घोड़े और हाथियों की चाल और उनकी भव्य सजावट ने शोभायात्रा में चार चांद लगा दिए। इन्हें पारंपरिक गहनों और रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजाया गया था, जो राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरती पालकी यात्रा में देवी की प्रतिमा को सजाकर रथ पर विराजमान किया गया था। महिलाएं ‘स्वागतम माता’ और ‘हरियाली तीज माता की जय’ के जयकारों के साथ आगे बढ़ती गईं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र का व्यक्ति इस त्योहार की भव्यता में खोया हुआ नजर आया। पुलिस प्रशासन ने भी इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ट्रैफिक कंट्रोल, सुरक्षा व्यवस्था और व्यवस्था में विशेष योगदान दिया गया, ताकि हर कोई इस पर्व को खुशी और सुरक्षित माहौल में मना सके।
तेज हवा और बारिश की हल्की फुहारों के बीच जब माता की पालकी मंदिर परिसर में पहुंची, तो लोगों की आस्था अपने चरम पर थी। यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं था, बल्कि समाज के हर वर्ग को जोड़ने वाला एक सामाजिक संगम था। जयपुर की यह तीज न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण थी, बल्कि सांस्कृतिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत खास बन गई। यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि परंपराएं सिर्फ निभाने के लिए नहीं होतीं, बल्कि उन्हें जीने के लिए होती हैं।
Comments are closed.