जन्माष्टमी 2025 पर बना दुर्लभ योग
वृद्धि, सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग से बढ़ेगा राशियों का मान-सम्मान….
नई दिल्ली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 इस बार खास खगोलीय संयोग लेकर आ रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन कई वर्षों बाद ऐसा दुर्लभ योग बन रहा है जिसमें वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग एक साथ उपस्थित होंगे। इतना ही नहीं, चंद्रमा भी इस अवसर पर अपना राशि परिवर्तन करेंगे और सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। इन अद्भुत संयोगों के कारण जन्माष्टमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ और फलदायी रहेगा।
इस बार का पर्व आस्था, भक्ति और ऊर्जा का संगम बनेगा। भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण की आराधना में लीन होकर इस दिन विशेष पूजा, व्रत और रात्रि जागरण करेंगे। खगोलीय संयोगों के कारण यह अवसर विशेष महत्व रखता है और ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि यह समय विशेषकर उन लोगों के लिए अधिक लाभकारी होगा जो अपने जीवन में नई शुरुआत करना चाहते हैं। व्यापार, शिक्षा, करियर और सामाजिक जीवन में इस दिन से शुरू किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक रहेगी।
कहा जा रहा है कि यह दुर्लभ योग कई राशियों के जातकों के लिए मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि का अवसर लेकर आएगा। सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्र में सम्मान बढ़ेगा और लोग उनके कार्यों की सराहना करेंगे। यह समय उन लोगों के लिए भी शुभ है जो लंबे समय से अपने प्रयासों का फल पाने के इंतजार में थे। धार्मिक दृष्टि से भी यह योग मन की शांति और आत्मबल को बढ़ाने वाला माना जा रहा है।
जन्माष्टमी हमेशा से भक्ति और आनंद का प्रतीक रही है, लेकिन इस बार के संयोग इसे और भी खास बना रहे हैं। ज्योतिष विद्वान कहते हैं कि चंद्रमा का वृषभ राशि में प्रवेश जीवन में स्थिरता और धैर्य का संचार करेगा। ऐसे समय में किया गया ध्यान, पूजा या सेवा कार्य लंबे समय तक सकारात्मक प्रभाव देता है। यही कारण है कि भक्त इस अवसर को न केवल आस्था बल्कि आत्मविकास का माध्यम भी मान रहे हैं।
देशभर में मंदिरों और घरों में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारी जोरों पर है। झांकियां, भजन-कीर्तन और दही-हांडी जैसे आयोजन इस पर्व को और जीवंत बनाएंगे। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होंगी और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होगा।
जन्माष्टमी 2025 इस मायने में यादगार साबित हो सकती है क्योंकि यह दुर्लभ संयोग कई सालों बाद बन रहा है। आस्था, ज्योतिष और परंपरा का यह संगम लोगों को एक नई ऊर्जा और उम्मीद देगा। समाज में सकारात्मकता का वातावरण बनेगा और लोग धार्मिक तथा सामाजिक दोनों ही स्तर पर प्रेरित महसूस करेंगे।