देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर को तेजी से बदल रही गिग इकोनॉमी ने पारंपरिक कामकाजी माहौल को चुनौती दी है और रोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं। विशेष रूप से भारत के छोटे शहरों और गांवों में, जहां रोजगार की कमी है, ऑनलाइन गिग रोजगार तेजी से बढ़ रहा है। यह विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण रोजगार स्रोत बन गया है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 तक दुनियाभर में गिग वर्कर्स की संख्या 43.5 मिलियन तक पहुंच गई है। बिजनेस रिसर्च इनसाइट्स के अनुमान के मुताबिक, ग्लोबल गिग इकोनॉमी का कारोबार 2031 तक 1864 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। लेकिन गिग इकोनॉमी के साथ एक महत्वपूर्ण समस्या भी जुड़ी हुई है – ऑनलाइन धोखाधड़ी। गिग वर्कर्स अक्सर धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं, जिससे उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की सक्रियता
गिग वर्कर्स को धोखाधड़ी से बचाने के लिए कई ऑनलाइन रिक्रूटमेंट प्लेटफॉर्म्स सामने आए हैं। ये प्लेटफॉर्म फ्रीलांसर्स और रिक्रूटर्स के बीच संबंध बनाने में मदद करते हैं, लेकिन फिर भी धोखाधड़ी का खतरा हमेशा बना रहता है। फर्जी प्रोफाइल बनाने से लेकर फाइनेंशियल फर्जीवाड़े तक, गिग वर्कर्स को कई जोखिमों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ये प्लेटफॉर्म गैरकानूनी गतिविधियों से निपटने के लिए सक्रिय उपाय कर रहे हैं।
MyJobee पोर्टल के फाउंडर सुजय पिडारा के अनुसार, गिग वर्कर्स अक्सर पारदर्शिता की कमी और ब्रोकरों पर निर्भरता के कारण धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर जुड़कर, वे व्यापक नौकरी के अवसर और वेतन की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। छुपी हुई लागतों की जानकारी देकर और एडवांस टूल्स जैसे रिमोट आइडेंटिटी वेरिफिकेशन, AI और बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके, धोखाधड़ी के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
वेरिफाइड रिक्रूटर्स के साथ, यदि कोई नौकरी चाहने वालों से फीस लेता है या उन्हें धोखा देता है, तो ऐसे रिक्रूटर्स को प्लेटफॉर्म से ब्लॉक कर दिया जाता है, जिससे घोटालों को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है। इसके अलावा, ऑनलाइन ट्रेनिंग और स्पष्ट दिशानिर्देशों के साथ धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग की क्षमता प्रदान करने से गिग वर्कर्स को सक्रिय रूप से धोखाधड़ी की रोकथाम में मदद मिलती है।
सही रणनीतियों और सक्रिय उपायों के साथ, ऑनलाइन रिक्रूटमेंट प्लेटफॉर्म गिग इकोनॉमी को न केवल गतिशील और अनुकूल बना सकते हैं, बल्कि इसे सुरक्षित और विश्वसनीय भी बना सकते हैं। इससे भारत के टियर 3 शहरों और गांवों में गिग वर्कर्स के लिए एक लाभकारी भविष्य सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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