चंडीगढ़-हरियाणा : से एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई सामने आई है। वरिष्ठ औषधि नियंत्रण अधिकारी से औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण की सभी शक्तियां छीन ली गई हैं। यह निर्णय अचानक नहीं आया, बल्कि लंबे समय से विभाग के कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद अब पूरे प्रकरण की गहराई से जांच शुरू कर दी गई है।
जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ औषधि अधिकारी पर लाइसेंसिंग प्रक्रिया में अनियमितताओं के आरोप लगे थे। कई शिकायतों के बाद विभाग ने आंतरिक जांच की शुरुआत की और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कई खामियों और प्रक्रियागत उल्लंघनों की पुष्टि हुई। इसी आधार पर विभाग ने यह बड़ा कदम उठाया। अधिकारी को फिलहाल प्रशासनिक कार्यों तक सीमित कर दिया गया है और औषधि लाइसेंसिंग से संबंधित किसी भी फाइल या दस्तावेज पर अब वह हस्ताक्षर नहीं कर सकेंगे।
स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों ने इस कार्रवाई को पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम बताया है। उनका कहना है कि दवाइयों की गुणवत्ता और वितरण से जुड़ी प्रक्रिया में किसी भी तरह की लापरवाही आम जनता के स्वास्थ्य से सीधा जुड़ती है और ऐसे में कोई समझौता नहीं किया जा सकता। विभाग ने स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने तक अधिकारी की भूमिका पर नजर रखी जाएगी और यदि आवश्यकता पड़ी तो आगे की कठोर कार्रवाई भी की जा सकती है।
इस घटना ने राज्यभर में औषधि नियमन प्रणाली को लेकर एक बार फिर चर्चा को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कार्रवाई से न केवल अन्य अधिकारियों को सतर्कता का संदेश मिलेगा बल्कि आम जनता का भरोसा भी कायम रहेगा। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस मामले की पूरी रिपोर्ट सरकार को भेजने की तैयारी चल रही है, जिसके बाद अगला निर्णय लिया जाएगा।
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