ग्रामीण भारत में बदलाव की रफ्तार धीमी, 42% किसान अब भी डिजिटल सेवाओं से वंचित
इंटरनेट और डिजिटल संसाधनों की कमी से 42% किसान ऑनलाइन सुविधाओं से महरूम, सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम।….
हरियाणा : ग्रामीण भारत में डिजिटल क्रांति की बातें भले ही जोर-शोर से की जा रही हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 42% किसान अब भी ऑनलाइन सेवाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल साक्षरता और महंगे स्मार्टफोन जैसी समस्याएं इस डिजिटल अंतर को और गहरा बना रही हैं।
आज के दौर में खेती से जुड़ी कई महत्वपूर्ण सेवाएं डिजिटल माध्यम से उपलब्ध हैं। ऑनलाइन कृषि मार्केटप्लेस, मौसम की जानकारी, बीज और उर्वरकों की गुणवत्ता जांचने के प्लेटफॉर्म, बैंकिंग सेवाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इंटरनेट जरूरी हो गया है। लेकिन जब किसानों को ही इंटरनेट की सुविधा नहीं मिलेगी, तो वे इन सेवाओं का उपयोग कैसे करेंगे?
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सुविधाओं की कमी के पीछे कई वजहें हैं। सबसे बड़ी समस्या इंटरनेट नेटवर्क की खराब स्थिति है। कई गांवों में अब भी 4G या 5G नेटवर्क की पहुंच नहीं है। इसके अलावा, डिजिटल साक्षरता की कमी भी एक बड़ा कारण है। अधिकतर किसानों को स्मार्टफोन या कंप्यूटर चलाने की सही जानकारी नहीं होती, जिससे वे ऑनलाइन सेवाओं से कटे रहते हैं।
एक और बड़ी चुनौती महंगे स्मार्टफोन और इंटरनेट प्लान हैं। कई किसानों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे हर महीने इंटरनेट के लिए खर्च कर सकें। इसके अलावा, कई बार फर्जी ऑनलाइन जानकारी और साइबर फ्रॉड का डर भी किसानों को डिजिटल सेवाओं से दूर रखता है।
हालांकि, सरकार ने भारतनेट प्रोजेक्ट और डिजिटल कृषि मिशन जैसी योजनाओं के जरिए गांवों को इंटरनेट से जोड़ने का प्रयास किया है, लेकिन इनका प्रभाव अब भी सीमित है। जरूरत इस बात की है कि सरकार और निजी कंपनियां मिलकर गांवों में सस्ते और भरोसेमंद इंटरनेट की सुविधा दें।
अगर हर किसान डिजिटल सेवाओं से जुड़ जाएगा, तो न सिर्फ उनकी उपज में सुधार होगा, बल्कि उन्हें सही दाम और बाजार भी मिलेगा। ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए डिजिटल क्रांति को हर गांव तक पहुंचाना जरूरी है।
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