गलत दवा से मासूम बेहोश, जींद में हड़कंप…
पेट के कीड़े की दवा के बजाय दी गई मिर्गी की गोली, बच्ची की हालत बिगड़ी…
हरियाणा : हरियाणा के जींद जिले में एक मासूम बच्ची को गलत दवाई देने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। घटना शहर के एक निजी क्लिनिक से जुड़ी है, जहां डॉक्टर ने बच्ची के पेट में कीड़े की शिकायत पर दवा लिखी थी, लेकिन मेडिकल स्टोर ने गलती से मिर्गी (दौरे) की टेबलेट थमा दी। दवाई खाते ही बच्ची बेहोश हो गई और परिवार वालों में अफरा-तफरी मच गई।
पीड़ित परिवार के मुताबिक, 6 साल की बच्ची को पेट दर्द की शिकायत थी। उसे लेकर परिजन एक नजदीकी डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने जांच के बाद पेट में कीड़े होने की आशंका जताई और एक साधारण कीड़े मारने वाली दवा लिख दी। परिजन डॉक्टर द्वारा दी गई पर्ची लेकर नजदीकी मेडिकल स्टोर पहुंचे, जहां दुकानदार ने बिना ध्यान दिए बच्ची को गलत दवा दे दी।
दवा घर पहुंचते ही बच्ची को दे दी गई। कुछ ही मिनटों में उसकी हालत बिगड़ने लगी – पहले चक्कर आए, फिर अचानक वह बेहोश हो गई और उसके हाथ-पैर अकड़ने लगे। घबराए परिजन उसे तुरंत अस्पताल लेकर भागे, जहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची को मिर्गी की तीव्र असर वाली दवा दी गई थी, जिससे यह रिएक्शन हुआ।
डॉक्टरों की तत्परता और समय पर इलाज से बच्ची की जान तो बच गई, लेकिन अब परिवार और स्थानीय लोग लापरवाह मेडिकल स्टोर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पीड़ित पिता ने कहा, “हमने डॉक्टर की पर्ची साफ-साफ दी थी, लेकिन मेडिकल वाले ने कोई ध्यान नहीं दिया और बच्ची की जिंदगी खतरे में डाल दी।”
मामले की जानकारी मिलते ही स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल स्टोर पर छापा मारा और दवा वितरण की प्रक्रिया की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि मेडिकल स्टाफ ने डॉक्टर की पर्ची को ठीक से पढ़े बिना ही दवा दे दी थी। विभाग के अनुसार, यदि लापरवाही सिद्ध होती है, तो मेडिकल स्टोर का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
यह मामला दवा वितरण में बरती जा रही लापरवाही और बिना जिम्मेदारी के काम करने वाले मेडिकल स्टाफ पर गंभीर सवाल खड़े करता है। छोटी सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है, खासकर बच्चों के मामले में। ऐसे में न केवल डॉक्टर बल्कि मेडिकल दुकानों को भी बेहद सतर्कता से काम करने की जरूरत है।
लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे मेडिकल स्टोर पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में किसी और मासूम की जान खतरे में न पड़े।
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