क्या नूंह में हिंदू महिला के सरपंच बनने से बदलेगी तस्वीर…
मुस्लिम बहुल गांव में पहली बार हिंदू महिला को सरपंच चुना गया, एक महीने से खाली था पद…
हरियाणा : हरियाणा के नूंह जिले में एक ऐतिहासिक फैसला सामने आया है, जहां मुस्लिम बहुल गांव में एक हिंदू महिला को सरपंच के पद पर निर्वाचित किया गया है। यह चुनाव कई मायनों में खास रहा क्योंकि 14 पंचों वाली इस ग्राम पंचायत में वह एकमात्र हिंदू सदस्य थीं। पिछले एक महीने से यह पद खाली पड़ा था, लेकिन अब गांव की जनता ने सर्वसम्मति से इस निर्णय को स्वीकार कर लिया है।
गांव की सामाजिक संरचना और चुनाव प्रक्रिया
नूंह जिला हरियाणा का एक ऐसा इलाका है, जहां मुस्लिम समुदाय की बहुलता है। इस गांव में हिंदू आबादी काफी कम है, लेकिन इसके बावजूद एक हिंदू महिला का सरपंच बनना दर्शाता है कि लोकतंत्र में जाति और धर्म से ऊपर उठकर नेतृत्व चुना जा सकता है। इस चुनाव में सभी पंचों और गांववासियों ने सहयोग किया और अंततः एकमत से महिला को सरपंच पद के लिए चुना गया।
पद एक महीने से था खाली
गांव के पूर्व सरपंच के इस्तीफा देने के बाद यह पद एक महीने से खाली पड़ा था। इस दौरान कई संभावित उम्मीदवारों के नाम सामने आए, लेकिन किसी पर भी पूर्ण सहमति नहीं बन पाई। आखिरकार, पंचायत और ग्रामवासियों ने मिलकर एक हिंदू महिला को इस पद के लिए चुनने का फैसला लिया, जिससे पूरे इलाके में चर्चा का माहौल बन गया।
गांववासियों की प्रतिक्रिया
गांव के लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है। मुस्लिम समुदाय के बुजुर्गों का कहना है कि उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि सरपंच किसी भी धर्म का हो, बस वह गांव की भलाई के लिए काम करे। कई ग्रामीणों का मानना है कि इस फैसले से आपसी भाईचारा और सौहार्द बढ़ेगा।
नई सरपंच की प्राथमिकताएं
नवनिर्वाचित सरपंच ने अपने पहले बयान में कहा कि वह गांव के विकास को प्राथमिकता देंगी। उनकी योजना शिक्षा, स्वच्छता और जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की है। उन्होंने यह भी कहा कि वह पंचायत के सभी सदस्यों के साथ मिलकर गांव की तरक्की के लिए काम करेंगी और समुदायों के बीच भाईचारा बनाए रखेंगी।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
यह चुनाव न सिर्फ नूंह के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बन सकता है। आमतौर पर जाति और धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति के बीच इस तरह की घटनाएं समाज में नई सोच और सकारात्मक बदलाव का संकेत देती हैं।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने इस चुनाव को लोकतंत्र की मजबूती का उदाहरण बताया है। प्रशासन का कहना है कि यह दर्शाता है कि हरियाणा में सभी धर्मों और जातियों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करते हैं।
क्या यह बदलाव की शुरुआत है?
यह चुनाव भविष्य में अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है, जहां पारंपरिक सोच से हटकर योग्य नेतृत्व को स्वीकार किया जाए। अब देखना यह होगा कि नवनिर्वाचित सरपंच अपने कार्यकाल में गांव के विकास के लिए कितनी प्रभावी नीतियां लागू कर पाती हैं।
Discover more from News On Radar India
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Comments are closed.