कोटा बैराज के खुले गेट, जलप्रलय का खतरा
नवनेरा डेम से छोड़ा पानी, निचली बस्तियों में घुसा सैलाब, स्कूल बंद
कोटा राजस्थान के कोटा जिले में सोमवार को मौसम ने एक बार फिर रौद्र रूप दिखाया। भारी बारिश के चलते कोटा बैराज और नवनेरा डेम के गेट खोलने पड़े, जिससे चंबल और पार्वती नदियों में पानी का बहाव तेज़ हो गया। डेम के गेट खुलते ही आसपास की निचली बस्तियों में पानी घुस गया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। प्रशासन ने एहतियातन स्कूलों में दो दिन की छुट्टी घोषित कर दी है। नगर निगम की टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है, जबकि एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन दलों को बस्तियों में तैनात किया गया है ताकि समय रहते लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा सके। निचली बस्तियों में रहने वाले लोग पूरी रात नींद नहीं ले सके। किसी ने अपने बच्चों को गोद में उठाया तो किसी ने जरूरी सामान सिर पर रखा और सुरक्षित स्थान की ओर चल पड़ा। महिलाओं की आँखों में डर साफ़ नज़र आ रहा था, लेकिन वे अपने परिवार को बचाने के लिए साहस के साथ डटी हुई थीं।
बैराज के गेट खोलने की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने पहले से ही लाउडस्पीकर के ज़रिए लोगों को सतर्क किया था। लेकिन पानी की रफ्तार इतनी तेज़ थी कि कुछ ही घंटों में गलियों में घुटनों तक पानी भर गया। स्थानीय निवासी रमेश गुर्जर ने बताया, “हमने पिछली बार ऐसा पानी 2019 में देखा था, लेकिन इस बार लगता है हालात और खराब हो सकते हैं।” स्थानीय प्रशासन ने बताया कि पिछले 24 घंटों में कोटा जिले में 120 मिमी से ज़्यादा बारिश दर्ज की गई है और मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। इससे हालात और बिगड़ सकते हैं। अस्पतालों, पुलिस चौकियों और राहत शिविरों को अलर्ट कर दिया गया है।
नगर निगम की टीम नालियों की सफाई में जुटी है ताकि जलभराव कम किया जा सके। लेकिन तेज़ बारिश के कारण कई इलाकों में बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई है। लोग मोबाइल की रोशनी में रात गुजारने को मजबूर हैं। बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ा है। सभी सरकारी और निजी स्कूल दो दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं। शिक्षक वर्ग ऑनलाइन कक्षाओं की संभावना पर विचार कर रहा है, लेकिन नेटवर्क और बिजली की समस्या आड़े आ रही है।
प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें। साथ ही जलभराव वाले क्षेत्रों में न जाएं और ज़रूरत पड़ने पर हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें। यह प्राकृतिक आपदा एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जल प्रबंधन और शहर की योजना कितनी महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में हमें न केवल आपदा से निपटने की तैयारी करनी होगी, बल्कि उसकी रोकथाम के उपाय भी अपनाने होंगे।
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