ऑक्सीजन सेंसर फेल, तीन मरीजों की मौत
जालंधर सिविल अस्पताल में लापरवाही से गई तीन जानें, ऑक्सीजन की कमी का समय पर नहीं चला पता….
जालंधर सिविल अस्पताल एक बार फिर लापरवाही का बड़ा उदाहरण बन गया है, जहां ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने से तीन मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा ट्रामा सेंटर में हुआ, जहां तीन मरीज—15 वर्षीय अर्चना, 32 वर्षीय अवतार लाल और 30 वर्षीय राजू—अपना इलाज करवा रहे थे। तीनों ही मरीजों के लिए समय पर सहायता नहीं मिल पाई क्योंकि अस्पताल में लगे ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सेंसर पहले से ही खराब थे और स्टाफ को ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी ही नहीं मिल सकी।
अर्चना को 17 जुलाई को सांप के काटने के बाद ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया था। परिवार को उम्मीद थी कि यहां उसकी जान बचाई जा सकेगी, लेकिन दुर्भाग्य से ऑक्सीजन की कमी ने उसकी सांसें छीन लीं। दूसरी ओर, अवतार लाल को 27 जुलाई को नशे की ओवरडोज के चलते भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उसे निरंतर ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, पर ऑक्सीजन सप्लाई में आई बाधा उसकी जान की दुश्मन बन गई। वहीं राजू को 24 जुलाई को टीबी के इलाज के लिए लाया गया था। वह भी अस्पताल के भरोसे था, लेकिन समय रहते सहायता न मिल पाने के कारण वह भी जिंदगी की जंग हार गया।
अस्पताल प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है। परिजनों का आरोप है कि अगर अस्पताल का स्टाफ मुस्तैद होता और मशीनें ठीक होतीं, तो तीनों की जान बचाई जा सकती थी। यह सिर्फ तकनीकी खराबी का मामला नहीं, बल्कि सिस्टम की गंभीर लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है।
स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों में भारी गुस्सा है। कई लोगों ने अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। डॉक्टरों और स्टाफ ने हालांकि कहा है कि वे जांच में सहयोग करेंगे, लेकिन सवाल यह है कि क्या अब किसी कार्रवाई से उन तीन जिंदगियों को वापस लाया जा सकता है?
सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए यह एक चेतावनी है कि समय रहते व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसे हादसे और बढ़ सकते हैं। इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती केवल कागजों पर नहीं, जमीन पर नजर आनी चाहिए।
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