एनएसएस कैंप में पहुंचीं पंजाब की 99 छात्राएं, मोबाइल बना चर्चा का केंद्र
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एनएसएस कैंप में पहुंचीं पंजाब की 99 छात्राएं, मोबाइल व्यस्तता बनी चर्चा का विषय

पंजाब यूनिवर्सिटी में आयोजित एनएसएस कैंप में दिखा अनुशासन की कमी का नजारा, कैंप की शुरुआत में देरी और मोबाइल में व्यस्त छात्राएं बनीं चर्चा का केंद्र

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चंडीगढ़ /  पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में इन दिनों राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) का विशेष कैंप चल रहा है, जिसमें पंजाब के विभिन्न जिलों से कुल 99 छात्राएं भाग लेने के लिए पहुंची हैं। यह कैंप युवाओं में सामाजिक जिम्मेदारी, अनुशासन और सेवा भाव को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है, लेकिन इस बार इसका आरंभ कुछ अलग ही चर्चा का विषय बन गया।

कैंप की शुरुआत निर्धारित समय से देर से हुई, जिससे प्रतिभागियों के बीच उत्साह की जगह थकावट और असहजता देखने को मिली। इससे भी अधिक ध्यान खींचने वाला दृश्य यह था कि कैंप स्थल पर मौजूद अधिकतर छात्राएं अपने मोबाइल फोन में व्यस्त थीं। कोई सेल्फी ले रही थी, तो कोई सोशल मीडिया पर व्यस्त नजर आई। इस दौरान पृष्ठभूमि में चल रहे गानों ने माहौल को और भी असंगत बना दिया।

यह दृश्य न केवल आयोजन के उद्देश्य से मेल नहीं खाता, बल्कि इसने अनुशासन के महत्व पर भी सवाल खड़े कर दिए। एनएसएस जैसे कार्यक्रम का मूल उद्देश्य युवाओं को समाज सेवा, समूह में कार्य करने और संयम का पाठ पढ़ाना होता है। लेकिन जब प्रतिभागी ही तकनीक की गिरफ्त में दिखाई दें, तो उस उद्देश्य को कहीं न कहीं ठेस पहुँचती है।

कार्यक्रम में देरी का कारण तकनीकी तैयारी और व्यवस्थाओं में ढील बताया गया। आयोजन से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि आने वाले दिनों में छात्राओं को अनुशासन और मोबाइल के सीमित उपयोग पर सख्ती से निर्देशित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले सत्रों में छात्राओं को समूह गतिविधियों, योग, सामाजिक जागरूकता अभियानों और श्रमदान जैसे कार्यों में लगाया जाएगा जिससे उनके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आए।

छात्राओं की ओर से भी प्रतिक्रिया आई कि वे कैंप के अनुभव को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन शुरुआत में दिशा-निर्देश स्पष्ट नहीं होने से कुछ असमंजस की स्थिति बन गई थी। यह घटना हमारे समाज में तकनीक और युवा पीढ़ी के रिश्ते की हकीकत को उजागर करती है। ज़रूरत है कि इस तरह के आयोजनों में तकनीक का संतुलित उपयोग सुनिश्चित किया जाए और युवाओं को इसके प्रति संवेदनशील बनाया जाए।

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