आयुष्मान योजना से निजी अस्पतालों को राहत
सरकार ने 675 अस्पतालों को ₹291 करोड़ जारी किए, मरीजों की उम्मीदें फिर से जगीं….
चंडीगढ़ में आयुष्मान भारत योजना को लेकर मरीजों और अस्पतालों के बीच पिछले कुछ दिनों से जो गतिरोध चल रहा था, उसमें अब राहत के आसार दिखने लगे हैं। प्रदेश सरकार ने पैनल में शामिल 675 निजी अस्पतालों को ₹291 करोड़ की अतिरिक्त राशि जारी करने का फैसला लिया है। यह मंजूरी ऐसे समय पर आई है जब पिछले 11 दिनों से निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीजों का इलाज बंद कर दिया था। इससे हजारों परिवार प्रभावित हो रहे थे और गरीब मरीजों को इलाज के लिए काफी परेशानियां उठानी पड़ रही थीं।
सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यह कदम निश्चित तौर पर योजना को पटरी पर लाने में मदद करेगा। अस्पतालों की प्रमुख मांग समय पर भुगतान की थी, क्योंकि लंबे समय से अटके बकाया के कारण निजी अस्पतालों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। अब सरकार की ओर से मिली राशि के बाद उम्मीद है कि जल्द ही अस्पताल आयुष्मान योजना के अंतर्गत इलाज शुरू कर देंगे और मरीजों को राहत मिलेगी।
आयुष्मान भारत योजना का मकसद देशभर में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराना है। प्रदेश में भी लाखों मरीज इस योजना से लाभान्वित होते हैं। हालांकि भुगतान में देरी और प्रक्रियागत समस्याओं के कारण कई बार अस्पताल और सरकार के बीच मतभेद पैदा हो जाते हैं। इस बार भी यही वजह रही कि 11 दिन तक निजी अस्पतालों ने योजना को लेकर हाथ खड़े कर दिए थे।
इस निर्णय को लेकर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता हमेशा मरीजों की रही है। किसी भी हालत में गरीब और जरूरतमंद को इलाज से वंचित नहीं किया जा सकता। ₹291 करोड़ जारी करना इसी दिशा में एक ठोस कदम है। वहीं, मरीजों और उनके परिजनों में भी इस घोषणा के बाद राहत की भावना है। जिन लोगों का इलाज बीच में अटक गया था, उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अस्पताल फिर से योजना का हिस्सा बनकर इलाज शुरू करेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय सिर्फ वित्तीय सहायता नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। आयुष्मान योजना जैसी स्वास्थ्य योजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब सरकार और निजी अस्पताल आपसी सहयोग के साथ इसे आगे बढ़ाएं। लगातार संवाद और समय पर भुगतान से ऐसी स्थिति दोबारा न आए, इसके लिए भी अब ठोस व्यवस्था करने की जरूरत है।
कुल मिलाकर, यह फैसला मरीजों और अस्पतालों दोनों के लिए राहत भरा है। जहां अस्पतालों को वित्तीय संबल मिला है, वहीं मरीजों को फिर से बेहतर इलाज की उम्मीद बंधी है। आने वाले दिनों में इसका सकारात्मक असर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर देखने को मिलेगा।
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