आयुष्मान योजना पर हरियाणा सरकार सख्त
इलाज से मना करने पर निजी अस्पतालों पर जुर्माना, पैनल से बाहर होंगे
हरियाणा सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों पर सख्ती का रुख अपनाया है। राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि यदि कोई अस्पताल इस योजना के अंतर्गत इलाज से मना करता है, तो उस पर न केवल जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि उसे पैनल से भी बाहर कर दिया जाएगा।
स्टेट हेल्थ एजेंसी (SHA) के अधिकारियों ने कहा कि कुछ निजी अस्पताल योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाएं निलंबित करने की चेतावनी दे रहे थे, जबकि उनकी सभी प्रमुख मांगों और मुद्दों का पहले ही समाधान कर दिया गया है। एजेंसी के मुताबिक, सेवाएं निलंबित करने का कोई वैध कारण नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने हाल ही में आयुष्मान योजना के तहत सेवाएं बंद करने का आह्वान किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए अस्पतालों से संपर्क किया। कई अस्पतालों ने सरकार को सूचित किया कि वे IMA के आह्वान में भाग नहीं ले रहे हैं और योजना के तहत मरीजों को सेवाएं देना जारी रखेंगे।
राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि आयुष्मान योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए जीवनरेखा है, और इसे किसी भी तरह की रुकावट से बचाया जाएगा। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर किसी भी अस्पताल ने इलाज से मना किया, तो यह योजना के नियमों का उल्लंघन होगा और तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
इस सख्ती के पीछे सरकार का उद्देश्य योजना को सुचारू रूप से चलाना और लाभार्थियों को समय पर इलाज सुनिश्चित करना है। आयुष्मान भारत योजना के तहत, पात्र परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें गंभीर बीमारियों और सर्जरी का खर्च भी शामिल है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सरकार निजी अस्पतालों के साथ सहयोग जारी रखेगी, लेकिन मरीजों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह योजना जनता के लिए है, और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
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