अनिल अंबानी से ईडी की पूछताछ शुरू
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अनिल अंबानी से ईडी की पूछताछ शुरू

17000 करोड़ की ऋण धोखाधड़ी मामले में कारोबारी दिल्ली रवाना….

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नई दिल्ली 17000 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच अब तेज़ हो गई है। इसी क्रम में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और प्रमुख कारोबारी अनिल अंबानी से मंगलवार को पूछताछ शुरू हो गई। जांच एजेंसी ने उन्हें दिल्ली में पेश होने के लिए समन भेजा था, जिसके बाद अनिल अंबानी मुंबई से दिल्ली के लिए रवाना हुए।

यह मामला उस जांच से जुड़ा है जिसमें ईडी ने बीते हफ्ते बड़े पैमाने पर छापेमारी की थी। 24 जुलाई से शुरू हुई यह छापेमारी तीन दिनों तक चली थी, जिसमें एजेंसी ने मुंबई और आसपास के 35 से अधिक परिसरों को खंगाला। ये परिसर लगभग 50 कंपनियों और 25 प्रमुख लोगों से जुड़े हुए थे। इनमें अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले कारोबारी समूह की कई कंपनियों के उच्च अधिकारी भी शामिल थे।

प्रवर्तन निदेशालय की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इस ऋण धोखाधड़ी में बैंकों और वित्तीय संस्थानों से प्राप्त कर्ज की राशि को गलत तरीके से दर्शाया गया, और उसका उपयोग निर्धारित उद्देश्यों के बजाय अन्य जगहों पर किया गया। सूत्रों की मानें तो कई कंपनियों ने कर्ज की राशि को रियल एस्टेट, शेयर मार्केट और विदेशी निवेश में खपाया, जिसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं दी गई।

अनिल अंबानी, जो कभी देश के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में गिने जाते थे, अब आर्थिक अपराधों की जांच में प्रमुख चेहरा बनते जा रहे हैं। इस मामले को लेकर राजनीतिक हलकों से लेकर कारोबारी जगत तक में हलचल है। हालांकि अब तक अंबानी की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ में उनका शामिल होना संकेत देता है कि जांच एजेंसी इसे लेकर गंभीर है।

जानकारों के मुताबिक, ईडी की यह कार्रवाई केवल एक कारोबारी तक सीमित नहीं रहेगी। एजेंसी देशभर में फैले कॉर्पोरेट कर्ज घोटालों पर शिकंजा कसने की रणनीति पर काम कर रही है। इस पूछताछ से यह तय माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई और बड़ी हस्तियों को जांच के दायरे में लिया जा सकता है।

पूरे देश में यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है। आम नागरिकों के बीच भी इस बात को लेकर चर्चा है कि कैसे हजारों करोड़ की राशि बिना जवाबदेही के गायब हो सकती है और फिर आम जनता पर इसका बोझ डाला जाता है। यह मामला ना सिर्फ वित्तीय पारदर्शिता, बल्कि सिस्टम की जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करता है।

इस हाई-प्रोफाइल मामले में आगे की कार्रवाई से यह तय होगा कि क्या देश की एजेंसियां प्रभावशाली उद्योगपतियों के खिलाफ निष्पक्ष रूप से कदम उठाने में सक्षम हैं या नहीं। फिलहाल सबकी नजरें ईडी की आगामी कार्रवाई और अनिल अंबानी के जवाबों पर टिकी हैं।

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