अंकों की अधिसूचना रद्द, हरियाणा को झटका
आर्थिक-सामाजिक आधार पर अंक देने की नीति खारिज, हाईकोर्ट ने अधिसूचना रद्द की……
हरियाणा : सरकार को उस समय बड़ा झटका लगा जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में आर्थिक और सामाजिक आधार पर अतिरिक्त अंक देने की अधिसूचना को रद्द कर दिया। यह अधिसूचना वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल के दौरान 11 जून को जारी की गई थी, जिसमें उम्मीदवारों को उनकी पारिवारिक और सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर अतिरिक्त अंक देने का प्रावधान किया गया था।
सरकार के इस फैसले को लेकर कई याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई थीं, जिसमें इस नीति को संविधान के मूल सिद्धांतों और समानता के अधिकार के खिलाफ बताया गया था। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि यह अधिसूचना मेरिट आधारित भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करती है और इससे प्रतिभाशाली उम्मीदवारों के साथ अन्याय होता है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि अधिसूचना में पारदर्शिता की कमी है और यह भेदभावपूर्ण है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि किसी भी भर्ती प्रक्रिया में समान अवसर सबसे प्रमुख आधार होना चाहिए और सामाजिक या आर्थिक स्थिति के आधार पर अंक देना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है।
इस निर्णय के बाद राज्य में चल रही कई भर्ती प्रक्रियाएं प्रभावित हो सकती हैं और सरकार को नई अधिसूचना या संशोधित दिशा-निर्देश जारी करने पड़ सकते हैं। साथ ही उन अभ्यर्थियों को भी झटका लग सकता है जिन्हें इस अधिसूचना के चलते अतिरिक्त अंक मिले थे।
राज्य सरकार की ओर से अभी तक इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रही है।
इस फैसले को लेकर छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ ने इसे न्यायोचित और मेरिट आधारित भर्ती को सही दिशा देने वाला बताया, जबकि कुछ ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की अनदेखी की जा रही है।
Discover more from News On Radar India
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Comments are closed.