चंडीगढ़ से आई ताजा खबर ने पंजाब और हरियाणा के संबंधों में एक बार फिर से तनाव की स्थिति पैदा कर दी है। पंजाब सरकार की एक आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि हरियाणा ने वर्ष 2015-16 के बाद से पंजाब को भाखड़ा नहर के संचालन और उसकी मरम्मत से जुड़ी किसी भी राशि का भुगतान नहीं किया है। यह बकाया अब तक कुल 113 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
भाखड़ा नहर, जो दोनों राज्यों के बीच जल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, लंबे समय से सहयोग और साझा जिम्मेदारियों का प्रतीक रही है। लेकिन इस नई रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि अब यह साझेदारी सवालों के घेरे में आ गई है। पंजाब सरकार का कहना है कि हरियाणा को इस परियोजना के लिए अपना हिस्सा चुकाना चाहिए, क्योंकि यह नहर न केवल पंजाब के लिए, बल्कि हरियाणा की सिंचाई व्यवस्था के लिए भी अत्यंत जरूरी है।
इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद से ही पंजाब के अधिकारियों में नाराजगी देखी जा रही है। उनका मानना है कि यह केवल आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि राज्यों के बीच पारस्परिक विश्वास और जवाबदेही का मामला है। पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यदि हरियाणा समय पर भुगतान नहीं करता है, तो यह न केवल भाखड़ा परियोजना के रखरखाव में बाधा डाल सकता है, बल्कि भविष्य में जल आपूर्ति में भी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।
हरियाणा सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह मामला जल्द ही दोनों राज्यों के बीच राजनीतिक बहस का रूप ले सकता है। भाखड़ा नंगल बांध और इससे जुड़ी नहरें पहले भी दोनों राज्यों के बीच विवाद का कारण बन चुकी हैं। अब जब यह मामला एक बार फिर सामने आया है, तो केंद्र सरकार की भूमिका भी अहम हो सकती है, खासकर जब यह जल बंटवारे और राज्यों के सहयोग जैसे संवेदनशील मुद्दों से जुड़ा हो।
जल जीवन और कृषि का आधार है और भाखड़ा नहर इन दोनों ही पहलुओं से जुड़ी है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि दोनों राज्य आपसी सहमति और समझ से इस बकाया राशि के मुद्दे को हल करें। केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह मध्यस्थता करते हुए इस विवाद को जल्द से जल्द निपटाए ताकि किसी भी तरह की आपूर्ति बाधित न हो। यह मामला सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि साझी जिम्मेदारी निभाने और भावी संकटों से बचाव का भी है। पंजाब और हरियाणा को इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने होंगे, क्योंकि यह जल संकट के समय में आपसी सहयोग की परीक्षा है।
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