शाहरुख को नेशनल अवॉर्ड मिलने पर बहस
‘जवान’ के लिए मिला पहला नेशनल अवॉर्ड, फैंस ने पूछा- इतने साल क्यों लगे…..
मुंबई 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स का ऐलान होते ही एक नाम ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं शाहरुख खान। उन्हें उनकी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘जवान’ के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला। यह उनकी अब तक की पहली नेशनल अवॉर्ड जीत है। दिलचस्प बात ये है कि शाहरुख को यह सम्मान उनके 33 साल लंबे फिल्मी करियर के बाद मिला है।
हालांकि अवॉर्ड मिलने के साथ ही सोशल मीडिया पर बहस भी छिड़ गई है। जहां एक ओर फैंस बेहद खुश हैं और कह रहे हैं कि “देर आए, दुरुस्त आए”, वहीं दूसरी ओर कई लोगों ने सवाल उठाया है कि आखिर इतने सालों तक शाहरुख को इस राष्ट्रीय सम्मान से वंचित क्यों रखा गया?
‘जवान’ फिल्म में शाहरुख के दोहरे किरदार और उनकी दमदार परफॉर्मेंस ने दर्शकों के साथ-साथ आलोचकों को भी प्रभावित किया था। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी झंडे गाड़े थे। लेकिन शाहरुख का यह अभिनय सिर्फ कमाई तक सीमित नहीं रहा—यह देशभर के लोगों के दिल में बस गया।
अब जब उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला, तो कई लोगों ने पुराने दौर को याद किया—’स्वदेस’, ‘चक दे इंडिया’, ‘माय नेम इज़ खान’ जैसी फिल्मों की चर्चा फिर से शुरू हो गई, जिनमें शाहरुख ने गहराई और संजीदगी से भरे किरदार निभाए थे। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, “क्या स्वदेस में उनका रोल किसी नेशनल अवॉर्ड से कम था?”
इस बहस में एक तबका यह भी कह रहा है कि बॉलीवुड में लंबे समय से नेशनल अवॉर्ड्स को लेकर पक्षपात की बात की जाती रही है। कुछ लोगों का मानना है कि अब जाकर शाहरुख को वो मान्यता मिली है, जिसके वो सालों से हकदार थे।
वहीं, कुछ लोग इस अवॉर्ड को पब्लिक प्रेशर या सोशल मीडिया के प्रभाव का नतीजा भी बता रहे हैं। हालांकि इस पूरे विवाद पर शाहरुख खान ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने सिर्फ एक छोटा सा ट्वीट किया—”मैंने सिर्फ अपने किरदार को सच्चाई से निभाया। प्यार के लिए शुक्रिया।”
इस अवॉर्ड को लेकर जहां एक तरफ तारीफों का सैलाब है, वहीं दूसरी तरफ यह भी साफ है कि दर्शकों की उम्मीदें और सवाल दोनों ही बड़े हैं। नेशनल अवॉर्ड जैसी प्रतिष्ठित पहचान किसी भी कलाकार के लिए गर्व का विषय होती है, और शाहरुख को यह अब जाकर मिला—इस पर चर्चा होना स्वाभाविक है। एक बात तो तय है, शाहरुख खान के चाहने वालों के लिए यह एक जश्न का मौका है, और उनके विरोधियों के लिए फिर से सोचने का समय।
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