यूक्रेन रूस संग युद्ध विराम को तैयार, ट्रंप को पुतिन की सहमति की उम्मीद..
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यूक्रेन रूस संग युद्ध विराम को तैयार, ट्रंप को पुतिन की सहमति की उम्मीद..

जेद्दा वार्ता के बाद यूक्रेन ने 30 दिन के युद्ध विराम की पेशकश की, ट्रंप ने जताई सहमति की आशा…

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नई दिल्ली : यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि यूक्रेन युद्ध विराम के लिए तैयार है और उन्हें उम्मीद है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस पर सहमति जताएंगे। ट्रंप की यह प्रतिक्रिया उस वार्ता के बाद आई, जो कीव और अमेरिकी प्रतिनिधियों के बीच सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित की गई थी। इस बैठक में यूक्रेन ने संकेत दिया कि वह 30 दिन के युद्ध विराम को स्वीकार करने के लिए तैयार है, जिससे युद्धग्रस्त क्षेत्र में शांति की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे इस युद्ध को लगभग दो साल हो चुके हैं, जिसमें हजारों लोगों की जान गई है और कई शहर तबाह हो चुके हैं। ऐसे में युद्ध विराम की यह पहल महत्वपूर्ण मानी जा रही है। ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि अगर पुतिन इस प्रस्ताव को मान लेते हैं, तो यह यूरोप और पूरी दुनिया के लिए एक सकारात्मक कदम होगा। हालांकि, रूस की ओर से इस पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने भी शांति वार्ता को लेकर पहले कई बार अपनी रुचि दिखाई है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह तभी संभव होगा जब रूस आक्रामक कार्रवाई रोकने को तैयार होगा। जेद्दा वार्ता में अमेरिका की भूमिका भी अहम रही, जहां अमेरिकी अधिकारियों ने शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अपनी ओर से समर्थन देने की बात कही।

रूस और यूक्रेन के बीच कई बार संघर्ष विराम की चर्चाएं हो चुकी हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि दोनों देशों के बीच लड़ाई लगातार जारी रही है। पश्चिमी देशों का समर्थन मिलने के बावजूद यूक्रेन को युद्ध में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि रूस ने भी अपनी सैन्य रणनीति को मजबूत किया है।

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या रूस इस युद्ध विराम प्रस्ताव को स्वीकार करता है या नहीं। यदि दोनों पक्ष सहमत हो जाते हैं, तो यह वैश्विक शांति के प्रयासों के लिए एक बड़ी सफलता होगी। वहीं, ट्रंप का यह बयान अमेरिका की बदलती नीति और भविष्य की कूटनीतिक रणनीति को भी दर्शाता है, जिससे संकेत मिलता है कि वे अपने आगामी चुनाव प्रचार में वैश्विक स्थिरता के मुद्दे को अहम बना सकते हैं।

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