भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ का झटका
व्यापार समझौता टूटा, ट्रंप के फैसले से दोनों देशों में तनाव
नई दिल्ली अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय से चल रही व्यापार वार्ताएं एक बड़े झटके के साथ टूट गईं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का एलान कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में अचानक तनाव बढ़ गया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब महीनों से दोनों पक्ष एक नए व्यापार समझौते पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे थे।
जानकारी के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच इस समझौते को लेकर पिछले एक साल से बातचीत चल रही थी। भारत की ओर से टैरिफ कम करने और कुछ खास अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने का प्रस्ताव रखा गया था, जबकि अमेरिका भारत से कृषि, टेक्नोलॉजी और ऊर्जा क्षेत्र में बड़े स्तर पर बाजार खोलने की मांग कर रहा था।
सूत्रों के अनुसार, आखिरी दौर की बातचीत में भारत ने टैरिफ में कुछ हद तक रियायत देने का संकेत दिया, लेकिन अमेरिकी पक्ष को यह प्रस्ताव पर्याप्त नहीं लगा। बताया जा रहा है कि ट्रंप को यह भी आपत्ति थी कि भारत ने कुछ ऐसे उत्पादों पर शुल्क घटाने से इनकार कर दिया, जो अमेरिकी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
ट्रंप का यह कदम न केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक संदेश भी देता है। उन्होंने इस फैसले को “अमेरिकी उद्योग और नौकरियों की रक्षा” के लिए जरूरी बताया। हालांकि, भारतीय पक्ष का कहना है कि इस तरह का एकतरफा टैरिफ दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नुकसान पहुंचाएगा और इससे वैश्विक व्यापार माहौल पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
भारत में इस फैसले को लेकर चिंता का माहौल है। व्यापारिक संगठनों का कहना है कि 50% टैरिफ से भारतीय निर्यातकों पर सीधा असर पड़ेगा, खासकर टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, स्टील और कृषि उत्पादों पर। इससे न केवल निर्यात घट सकता है, बल्कि हजारों नौकरियों पर भी खतरा मंडराएगा। अमेरिका में भी इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ अमेरिकी उद्योग इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि इससे भारत के साथ बढ़ते कारोबारी रिश्तों को झटका लगेगा और अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे दाम चुकाने पड़ सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और अमेरिका, दोनों ही बड़े लोकतंत्र और आर्थिक ताकतें हैं, इसलिए उनके बीच सहयोग जरूरी है। अगर यह टकराव लंबा चला, तो इसका असर तकनीकी साझेदारी, रक्षा सौदों और वैश्विक मंचों पर सहयोग पर भी पड़ सकता है। अब नजर इस बात पर है कि क्या आने वाले हफ्तों में दोनों देश बातचीत की मेज पर लौटेंगे या यह व्यापारिक तनाव और गहरा होगा। फिलहाल, टैरिफ के इस बड़े फैसले ने दोनों देशों में आर्थिक और राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है।