पंजाब में वक्फ की 42 हजार संपत्तियाँ कब्जे में..
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पंजाब में वक्फ की 42 हजार संपत्तियाँ कब्जे में..

1500 से अधिक केस अदालतों में लंबित, वक्फ बोर्ड की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा…

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पंजाब : पंजाब में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जे का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में है। हाल ही में जारी हुई एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य भर में वक्फ बोर्ड की 42,000 से अधिक संपत्तियां अवैध कब्जों में हैं, जबकि लगभग 1,500 से अधिक केस कोर्ट में लंबित हैं। यह आंकड़ा न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि धार्मिक और सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कितनी लापरवाही बरती गई है।

पंजाब वक्फ बोर्ड के अनुसार, राज्य में कुल वक्फ संपत्तियों की संख्या 54,000 के करीब है, जिनमें से लगभग 78% जमीनों पर अवैध कब्जा हो चुका है। इनमें मस्जिदें, कब्रिस्तान, मदरसे, दुकानें और कृषि भूमि शामिल हैं। कई मामलों में यह कब्जा पिछले कई दशकों से बना हुआ है, जिसे न तो हटाया जा सका है और न ही कोर्ट से त्वरित न्याय मिल पाया है।

सूत्रों के मुताबिक, वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में कुछ प्रभावशाली लोग, राजनेता, स्थानीय व्यापारी और यहां तक कि कुछ सरकारी विभाग भी शामिल हैं। ये लोग या तो जमीन पर कब्जा जमाकर उसका व्यावसायिक इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर उसे किराये पर देकर आर्थिक लाभ कमा रहे हैं।

वक्फ बोर्ड की ओर से इस मुद्दे को लेकर सरकार से भी कई बार अपील की गई है कि विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाए जो वक्फ संपत्तियों की पहचान कर उन्हें कब्जे से मुक्त कराए। इसके अलावा, जिन संपत्तियों पर कानूनी कार्यवाही चल रही है, उनके लिए विशेष अदालतों का गठन करने की मांग भी उठाई जा रही है ताकि मुकदमों का शीघ्र निपटारा हो सके।

राज्य सरकार की ओर से फिलहाल कोई ठोस कदम उठाने की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन बोर्ड की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कुछ संगठनों ने इसे ‘धार्मिक अधिकारों का हनन’ बताया है, तो कुछ इसे प्रशासनिक विफलता करार दे रहे हैं।

सवाल ये उठता है कि अगर इन संपत्तियों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो न केवल धार्मिक संस्थानों की स्थिति सुधर सकती है, बल्कि राज्य को भी एक बड़ा आर्थिक लाभ हो सकता है। अब देखना ये होगा कि क्या सरकार और प्रशासन मिलकर वक्फ की इन संपत्तियों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाते हैं या ये मुद्दा भी अन्य मुद्दों की तरह फाइलों में दबा रह जाएगा।

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