पंजाब में बाप-बेटे की खेती से सफलता
ऑस्ट्रेलिया से लौटकर अपनाई आधुनिक खेती, सालाना 15 लाख तक की कमाई…..
पंजाब के एक छोटे से गांव में बाप-बेटे की जोड़ी ने अपनी मेहनत और सोच से खेती में एक नई मिसाल कायम की है। दोनों ने विदेश में रहकर भी अपनी मिट्टी से जुड़ाव नहीं छोड़ा और ऑस्ट्रेलिया से वापस लौटकर आधुनिक तकनीकों के सहारे खेती शुरू की। आज उनकी सालाना कमाई 15 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है, जिससे न केवल उनका परिवार खुशहाल हुआ है, बल्कि गांव के अन्य किसानों के लिए भी यह प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
जानकारी के मुताबिक, बेटा ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई और नौकरी के लिए गया था, लेकिन वहां रहकर उसने महसूस किया कि खेती के क्षेत्र में तकनीक का इस्तेमाल कितनी तेजी से हो रहा है और किस तरह किसान कम मेहनत में ज्यादा उत्पादन कर रहे हैं। उसने वहां की आधुनिक खेती के तौर-तरीके सीखे और पिता के साथ मिलकर इन्हें अपने गांव में अपनाने का फैसला किया।
वापस लौटने के बाद दोनों ने परंपरागत खेती के बजाय हाई-टेक खेती शुरू की। उन्होंने ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, मृदा परीक्षण, उन्नत बीज और जैविक खाद का इस्तेमाल शुरू किया। साथ ही, सब्जियों और फलों की बागवानी के लिए ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस तकनीक अपनाई, जिससे मौसम के असर को कम किया जा सके और सालभर फसल ली जा सके।
इस पहल से उनकी उपज में काफी बढ़ोतरी हुई और लागत भी कम हो गई। पहले जहां वे सिर्फ गेहूं और धान की खेती करते थे, अब वे टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा और स्ट्रॉबेरी जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं, जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। उन्होंने उत्पादन को सीधे मंडियों और रिटेल स्टोर्स तक पहुंचाकर बिचौलियों पर निर्भरता कम की, जिससे मुनाफा बढ़ा।
बाप-बेटे की इस सफलता ने गांव के अन्य किसानों को भी प्रभावित किया। कई किसानों ने उनसे खेती की नई तकनीकों के बारे में सीखना शुरू किया और धीरे-धीरे हाई-टेक खेती अपनाने लगे। बेटा किसानों को मुफ्त में प्रशिक्षण भी देता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका फायदा उठा सकें।
पिता का कहना है कि पहले वे सोचते थे कि खेती में अब ज्यादा भविष्य नहीं है, लेकिन आधुनिक तकनीक ने यह सोच बदल दी है। बेटा मानता है कि अगर किसान थोड़ी मेहनत और समझदारी से काम करें तो खेती एक लाभकारी व्यवसाय बन सकती है।
आज उनकी कहानी सोशल मीडिया और स्थानीय अखबारों में चर्चा का विषय है। यह साबित करता है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो और तकनीक का सही इस्तेमाल किया जाए, तो गांव में भी शहरों जितनी सफलता हासिल की जा सकती है।