पंजाब कांग्रेस रक्खड़ कांफ्रेंस की तैयारी तेज़
प्रदेश अध्यक्ष राजा वड़िंग ने बनाई कमेटी, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को चेयरमैन नियुक्त
पंजाब कांग्रेस ने एक बार फिर से अपने सियासी तेवर दिखाने की तैयारी कर ली है। इस बार रक्खड़ पुनिया सियासी कांफ्रेंस को लेकर पार्टी ने कमर कस ली है। प्रदेश अध्यक्ष राजा अमरिंदर सिंह वड़िंग ने खुद कमेटी का गठन कर इसकी ज़िम्मेदारी वरिष्ठ नेताओं को सौंपी है। खास बात यह है कि इस कांफ्रेंस को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को इसकी कमान सौंपी गई है। वे इस आयोजन की अगुवाई बतौर चेयरमैन करेंगे।
कांग्रेस का यह आयोजन पंजाब की राजनीति में अहम माना जा रहा है। रक्खड़ पुनिया, जोकि सीमावर्ती और किसान बहुल क्षेत्र है, वहां पर यह कांफ्रेंस होना कई राजनीतिक संदेश देने का संकेत है। पंजाब कांग्रेस इस कांफ्रेंस के जरिए एक ओर जहां संगठनात्मक शक्ति का प्रदर्शन करना चाहती है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार और केंद्र की नीतियों पर भी सीधा हमला बोलने की तैयारी कर रही है।
कमेटी में ऐसे चेहरों को शामिल किया गया है जो क्षेत्र विशेष में प्रभाव रखते हैं और जिन्हें पार्टी की नीतियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने का अनुभव है। प्रदेश अध्यक्ष वड़िंग ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरने और जनसंपर्क को मजबूत करने के लिए यह कांफ्रेंस बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनता से संवाद का माध्यम भी होगा।
कांग्रेस लंबे समय से पंजाब में सत्ता से बाहर है और अब पार्टी नए सिरे से खुद को पुनर्गठित करने में लगी है। रक्खड़ पुनिया जैसे क्षेत्र को प्राथमिकता देकर यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि पार्टी जमीनी मुद्दों को लेकर गंभीर है। किसानों, बेरोजगारी, महंगाई और सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा जैसे मसले इस कांफ्रेंस का मुख्य विषय हो सकते हैं।
तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा जैसे वरिष्ठ नेता की भूमिका इस आयोजन में विशेष मानी जा रही है। वे अपने अनुभव और संगठनात्मक कौशल से न केवल इस कांफ्रेंस को सफल बना सकते हैं, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं को भी एकजुट कर सकते हैं। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि यह कांफ्रेंस आने वाले समय में पार्टी के लिए एक नई ऊर्जा का संचार करेगी।
वर्तमान में जब पंजाब की राजनीति बदलाव के दौर से गुजर रही है, ऐसे में कांग्रेस का यह कदम रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। रक्खड़ पुनिया की धरती पर कांग्रेस की यह सियासी हुंकार सत्ता में वापसी के पहले कदम के रूप में देखी जा रही है।
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