पंजाब के गर्व और दुनिया के सबसे उम्रदराज एथलीट फौजा सिंह का 114 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ‘टर्बन टॉरनेडो’ के नाम से प्रसिद्ध फौजा सिंह को एक कार ने टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब वह रोज की तरह सुबह की सैर पर निकले थे।
फौजा सिंह की कहानी केवल उम्र की नहीं, बल्कि हौसले की मिसाल है। 80 साल की उम्र में जब लोग आराम की जिंदगी तलाशते हैं, तब उन्होंने दौड़ना शुरू किया। उन्होंने दुनिया भर में मैराथन रेसों में भाग लिया और अपने जुनून और फिटनेस से लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, जिनमें से कई को आधिकारिक तौर पर उम्र के कारण मान्यता नहीं दी गई, लेकिन फौजा सिंह लोगों के दिलों में हमेशा चैंपियन रहे।
उनकी दौड़ केवल खेल नहीं थी, यह जीवन का एक दर्शन था — कभी हार मत मानो। उन्होंने कहा था, “अगर आपके पास कोई लक्ष्य है, तो उम्र कोई बाधा नहीं है।” उनके इस विचार ने उन्हें भारत ही नहीं, दुनियाभर के बुजुर्गों का आइकन बना दिया।
फौजा सिंह को टर्बन टॉरनेडो इसलिए कहा जाता था क्योंकि वह दौड़ते वक्त पगड़ी पहनते थे और उनकी गति व जोश देखकर युवा भी दंग रह जाते थे। लंदन, टोरंटो और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में उन्होंने मैराथन पूरी कीं और विश्व मीडिया में छाए रहे।
उनकी मौत की खबर से पंजाब ही नहीं, पूरा देश शोक में डूब गया है। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वालों की बाढ़ आ गई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई प्रमुख नेताओं और खिलाड़ियों ने उनके निधन पर शोक जताया है।
114 साल की उम्र तक सक्रिय और प्रेरणादायक जीवन जीने वाले फौजा सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी दौड़ हमेशा लोगों के दिलों में गूंजती रहेगी।
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