जज नोटकांड में सभी आरोपी क्यों हुए बरी?
सीबीआई कोर्ट ने पूर्व जस्टिस निर्मल यादव समेत सभी को दी राहत
चंडीगढ़ : की सीबीआई कोर्ट ने 16 साल पुराने बहुचर्चित जज नोटकांड में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने पूर्व जस्टिस निर्मल यादव सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। यह मामला 2008 में सामने आया था, जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से 15 लाख रुपये पहुंचने के बाद भ्रष्टाचार और न्यायपालिका में रिश्वतखोरी का बड़ा खुलासा हुआ था।
सीबीआई ने इस मामले में जांच के बाद पूर्व जस्टिस निर्मल यादव, एडवोकेट संजीव बंसल और अन्य लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के तहत केस दर्ज किया था। जांच एजेंसी का दावा था कि ये पैसे दरअसल जस्टिस निर्मल यादव के लिए भेजे गए थे, लेकिन गलती से यह राशि जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंच गई। जब इस घटना का खुलासा हुआ तो पूरे देश में न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे थे।
मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने कई साक्ष्य जुटाने की कोशिश की, लेकिन अदालत में यह साबित नहीं हो सका कि रिश्वत वास्तव में पूर्व जस्टिस निर्मल यादव के लिए भेजी गई थी। अदालत ने यह भी पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए ठोस सबूत पेश करने में असफल रहा।
सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व जस्टिस निर्मल यादव ने राहत की सांस ली और कहा कि उन्हें न्याय मिला है। वहीं, दूसरी ओर इस फैसले को लेकर कानूनी विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ का मानना है कि इस फैसले से न्यायपालिका की साख बची है, जबकि कुछ इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक कमजोर कड़ी मान रहे हैं।
इस केस को भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। इस फैसले के बाद न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है। हालांकि, सीबीआई इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी या नहीं, इस पर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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