चीन निकट भविष्य में भारत के लिये सबसे बड़ा खतरा: टिबेटियन वूमैन्स ऐसो.
लोग भारत, चीन और तिब्बत मुद्दों पर चर्चा करें, विधायकों व सांसदों को करवाये अवगत, बनाये इसे राष्ट्रीय मुद्दा: टीडब्ल्यूए का आह्वान
चंडीगढ़: तिब्बत में हो रहे मानवाधिकारों के हनन से अवगत करने के उद्देश्य से टिबेटियन वूमैन्स ऐसोसियेशन (टीडब्ल्यूए) द्वारा धर्मशाला से दिल्ली तक शुरु की गई अपील यात्रा के अंतर्गत ऐसोसियेशन के पदाधिकारी शुक्रवार को चंडीगढ़ पहुंचे।
चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये टीडब्ल्यूए की प्रेजीडेंट सिरिंग डोलमा ने बताया कि उनकी यात्रा 20 नंवबर को दिल्ली में सम्पन्न होगी और इसी बीच ऐसोसियेशन पब्ल्कि फोरम, प्रेस वार्ता और सार्वजनिक कार्यक्रमों के माध्यम से चीनी सरकार द्वारा तिब्बत वासियों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति जागरुक कर रहे हैं। उन्होंनें बताया कि 14 नवंबर को भारत में मनाये जाने वाले बाल दिवस के मायने तिब्बत में इसके बिल्कुल विपरीत हैं जहां बच्चों के उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। डोलमा के अनुसार तिब्बत में बच्चों को जबरन उनके परिवारजनों से अलग कर दिया जाता है और बोर्डिंग स्कूल में उन्हीं की चीनी भाषा, संस्कृति और धर्म का पाठ पढ़ाया जाता है। इसका उद्देश्य बच्चों को उनकी मूल विरासत से अलग करना है। उन्होंनें आरोप लगााया कि चीन न केवल उनके देश का अस्तित्व मिटा रहा बल्कि पूरी तिब्बती सभ्यता को नष्ट कर रहा है।
वार्ता के दौरान ऐसोसियेशन की वाईस प्रेजीडेंट केलसंग डोल्मा और ज्वाईंट सेक्रेटरी छोछन डोल्मा ने बताया कि तिब्बत विश्व का सबसे उंचा पठार है जहां से दस बड़ी नदियों का उदय होता है। अनुमानित दो बिलियन लोगों की जरुरतें इनके पानी पर निर्भर करती हैं। तिब्बत से खनिजों का दोहन, जल विद्युत परियोजनाओं, बांधों, शहरी विकास की आड़ में तिब्बत का प्र्यायवरण बिगाड़ दिया गया है जिसके बाद इन नदियों पर नियंत्रण कर भारत और बंग्लादेश पर खतरा मंडराता रहता है। उन्होंनें बताया कि तिब्बत पर कब्जा करने से पूर्व चीन ने कभी भी अपनी सेना इतनी सक्रिय नहीं की थी। भारत और चीन के बीच एक न्यूट्रल बफर के गायब होने के बाद दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति जारी रहती हैं जिसके चलते भारत अपने रक्षा बजट के माध्यम से काफी पैसा देश की सुरक्षा पर लगाता है।
इसी कड़ी में ऐसोसियेशन भारत सरकार से आग्रह करती है कि वे चीनी मनावाधिकार उल्लंघन के खिलाफ तत्काल कदम उठाये और इस संदर्भ में उचित कार्यवाही करे। ऐसोसियेशन यह भी मांग करता है भारत सरकार चीनी लीडरशिप के साथ मिलकर काम करे और तिब्बत में चीन की विकास परियोजनाओं के हानिकारक प्रभावों को संबोधित करे। इसी के साथ भारत सरकार चीन में तिब्बती बच्चों में बोर्डिंग स्कूल प्रणाली के मुद्दे को संबोधित करे जिससे की उनका भविष्य सुरक्षित किया जा सके।
ऐसोसियेशन स्थानीय लोगों से भी उम्मीद रखते है कि चीन की आक्रमणकारी नीतियों और तिब्बत पर चर्चा करें क्योंकि निकट भविष्य में चीन, भारत के लिये काफी मुसीबतें पैदा कर सकते हैं। इस विषय पर वे अपने विधायकों और सांसदों के साथ चर्चा करें ताकि वे इसे भी राष्ट्रीय मुद्दा बनाये। (रोशन लाल शर्मा की रिपोर्ट)
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