हरियाणा विधानसभा चुनाव निर्दलीय बागियों पर कांग्रेस और भाजपा की चुप्पी
चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की ओर से कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं हो रही है। दोनों प्रमुख पार्टियों के कई नेता और कार्यकर्ता टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं, जिससे राजनीतिक माहौल में हलचल बनी हुई है।
कांग्रेस का समर्थन और चुनावी रणनीति:
कांग्रेस पार्टी ने 57-भिवानी विधानसभा सीट से सीपीआई (एम) के उम्मीदवार कॉमरेड ओम प्रकाश का समर्थन करते हुए अपनी ओर से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। इससे यह साफ है कि कांग्रेस ने सहयोगी दलों के साथ चुनावी समीकरण को साधने की कोशिश की है, जबकि दूसरी ओर 45-सिरसा सीट से भाजपा के प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा ने अपने नामांकन को वापस ले लिया है।
इस बार कई नेताओं ने पार्टी टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के लगभग अढ़ाई दर्जन और भाजपा के डेढ़ दर्जन से अधिक बागी नेता निर्दलीय या अन्य दलों के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। पार्टी नेताओं द्वारा कई बागियों को मनाने के प्रयास किए गए, लेकिन कुछ ने अपना नामांकन नहीं वापस लिया।
राजनीतिक असमंजस:
भाजपा द्वारा हलोपा से चुनाव लड़ रहे गोपाल कांडा के समर्थन के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है। यह स्थिति न केवल पार्टी में असंतोष को उजागर कर रही है, बल्कि आने वाले चुनावों में इसकी संभावनाओं पर भी सवाल खड़ा कर रही है। निर्दलीय बागियों की बढ़ती संख्या और कांग्रेस-भाजपा की चुप्पी से चुनावी रणनीतियों की गंभीरता पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है।
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