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क्या कांग्रेस हिमाचल में चुनाव जीत कर अपने लिए संजीवनी पाना चाहती है ?

भाजपा सरकार बनाने में मन्डी जिला वड़ा रोल अदा कर सकता है, जिसकी सम्भावना भी है : विनोद शर्मा (रिटायर्ड इंस्पैक्टर ) की हिमाचल चुनाव रिपोर्ट!

नादौन (H.P): ऐसा भी है कि हिमाचल प्रदेश में मामूली अन्तर से भाजपा चालीस से ज्यादा सीटें जीत कर इतिहास रच सकती है क्योंकि सरकार के विरुद्ध सीधे तौर पर ओ पी एस के अलावा कोई और वड़ा मुद्दा नहीं है और यह आम जनता में कोई मुद्दा ही नहीं है परन्तु कर्मचारियों ने और उनके परिजनों ने एकमत होते हुए और अपनी विचारधारा की परवाह ना करते हुए सरकार के खिलाफ मतदान किया होगा तो मामूली अन्तर से कांग्रेस भी छतीस तक सीटें जीत सकती है और सरकार वना सकती परन्तु यह सम्भव लग नहीं रहा है, कर्मचारी ओ पी एस वहाली चाहते तो है परन्तु यह भी जानते हैं कि विना केन्द्र के सहयोग के ओ पी एस वहाली सम्भव नहीं है और जो एम ओ यू हुआ है वो राज्य सरकारों ने किया है तथा एम ओ यू तोड़ना राज्य हित में नहीं है दूसरा हिमाचल प्रदेश पहले ही कर्ज के वोझ में दवा हुआ है। तीसरा कांग्रेस के बहुमत में ना आने में वाधा यह दिखाई दे रही है कि नेतृत्व केन्द्र में कमजोर है और राज्य में एकजुट नहीं है और इसके दिग्गज नेता अपनी अपनी सीटों में ही कांटे के मुकाबले में फंसे दिख रहे हैं हालांकि उन्होंने ने कुछ समय शुरू में जरूर अपनी पसन्द के उम्मीदवारों के प्रचार के लिए निकाला है। प्रचार के आखिरी चरण में जहां भाजपा अपने स्टार प्रचारकों से तावड़ तोड़ रैलियां करवा रही थी और भीड़ भी रैलियों में आ रही थी तव कांग्रेस के स्थानीय दिग्गज नेता अपनी अपनी सीटों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे और वे खुद वड़े कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं और इस समय के हालात वता रहे हैं कि वे खुद हार रहे हैं |

अन्तिम चरण में प्रियंका वाड्रा के अलावा कोई तेज तर्रार प्रचारक नहीं था। कांग्रेस पार्टी देश में वैन्टिलेटर पर है और हिमाचल प्रदेश में चुनाव हर हालत में अपने आप को संजीवनी देने लिए जीतना चाहती है इसलिए विना सोचे विचारे हर वर्ग को लुभाने के लिए हर वायदा कर रही है इसके कार्यकर्ता यह भी कहते सुने गये कि जव मोदी पन्द्रह लाख रुपए देने का वायदा करके जीत सकते हैं तो फिर उन्हें क्या हर्ज है ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के कुछ दिग्गज फायर ब्रांड नेता चुनाव हार जायेंगे और आम उम्मीदवार जीत कर वहुमत हासिल कर ले। भाजपा का प्रादेशिक नेतृत्व एकजुट तो है और चुनाव के दौरान था भी परन्तु फायर ब्रांड नहीं है जैसे कांग्रेस के है यह जरूर है कि जयराम की शालीनता ईमानदारी और नीतियों जनता पर अच्छा प्रभाव है और कोरोना जैसी विकट परिस्थितियों में भी विकास करवाया है जिसके कारण लोग उन्हें चाहते भी हैं और उनकी छवि काम कर रही है इसके अलावा केन्द्रीय नेतृत्व का सहयोग और प्रचार भाजपा को इस समय वढत दिलवाता दिख रहा है और हो सकता है कि वहुत कम अन्तर से भाजपा के अड़तीस के आस पास विधायक वन जाये |

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