पंजाब सरकार ने किया बड़ा प्रशासनिक फेरबदल
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पंजाब सरकार ने किया बड़ा प्रशासनिक फेरबदल

22 आईएएस, 8 पीसीएस और 1 आईएफएस अफसरों का तबादला, नई जिम्मेदारियां संभालेंगे अधिकारी……

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पंजाब सरकार ने एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल का ऐलान करते हुए 22 आईएएस, 8 पीसीएस और 1 आईएफएस अधिकारी का तबादला किया है। इस फेरबदल का सीधा असर राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर पड़ेगा क्योंकि कई जिलों के डिप्टी कमिश्नर, सचिव और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नए अधिकारी तैनात किए गए हैं।

सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार ने यह कदम प्रशासनिक व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने तथा जनता को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उठाया है। बठिंडा में लंबे समय से नए डिप्टी कमिश्नर की मांग की जा रही थी, जिसे अब पूरा कर दिया गया है। इस पद पर राजेश धीमान को नियुक्त किया गया है। माना जा रहा है कि धीमान के आने से जिले में विकास कार्यों और जनहित से जुड़े मामलों में गति आएगी।

प्रशासनिक फेरबदल के दौरान कुछ अधिकारियों को उनकी काबिलियत और अनुभव के आधार पर अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। कई अधिकारियों को ऐसे जिलों में भेजा गया है, जहां पर प्रशासनिक चुनौतियां अधिक हैं। यह निर्णय इस उद्देश्य से लिया गया है कि अनुभवी अधिकारी कठिन हालात में भी बेहतर कार्य कर सकें।

सरकार का मानना है कि नियमित अंतराल पर अधिकारियों के तबादले करने से न केवल प्रशासन में नई ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि विभिन्न जिलों में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आती है। यही कारण है कि हाल के महीनों में राज्य सरकार ने कई बार ऐसे फैसले लिए हैं।

विभिन्न जिलों के लोगों की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि नई तैनाती के बाद क्या बदलाव देखने को मिलते हैं। बठिंडा में नए डिप्टी कमिश्नर के रूप में कार्यभार संभालने जा रहे राजेश धीमान से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। इसी तरह अन्य जिलों में भी अधिकारियों की नई नियुक्तियों को लेकर चर्चा का माहौल बना हुआ है।

प्रशासनिक हलकों में यह फेरबदल काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि आने वाले महीनों में कई विकास परियोजनाएं लागू होनी हैं और इनकी सफलता काफी हद तक अधिकारियों की कार्यशैली पर निर्भर करेगी। सरकार को उम्मीद है कि इस बदलाव से न केवल विकास योजनाओं में तेजी आएगी, बल्कि जनता और प्रशासन के बीच की दूरी भी कम होगी।

यह फेरबदल राज्य की राजनीति और प्रशासन दोनों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे कदमों से सरकार अपने कामकाज को बेहतर तरीके से जनता तक पहुंचा सकती है। इसके साथ ही यह संदेश भी जाता है कि सरकार किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगी और जनहित के मामलों में पूरी गंभीरता से काम करेगी।

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